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कबीर दास जी के दोहे



जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप।।

अर्थ :

कबीर दास जी कहते हैं कि जहाँ दया-भाव है वहाँ धर्म-व्यवहार होता है। जहाँ लालच और क्रोध है वहाँ पाप बसता है। जहाँ क्षमा और सहानुभूति होती है वहाँ भगवान रहते हैं।

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